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May 12 2023, 16:25

सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को सजा सुनने वाले सूरत के सीजेएम हरीश हसमुखभाई वर्मा समेत गुजरात की निचली अदालतों के 68 जजों के प्रमोशन पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) हरीश हसमुखभाई वर्मा समेत गुजरात की निचली अदालतों के 68 जजों को बड़ा झटका देते हुए उनके प्रमोशन पर शुक्रवार को रोक लगा दी। सूरत के सीजेएम हसमुखभाई वर्मा ने ही पिछले दिनों मानहानि के एक मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दोषी ठहराया था।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम.आर. शाह और जस्टिस सी.टी. रविकुमार की बेंच ने कहा कि गुजरात राज्य न्यायिक सेवा नियमावली 2005 के अनुसार, योग्यता-सह-वरिष्ठता के सिद्धांत और योग्यता परीक्षा पास करने पर ही पदोन्नति होनी चाहिए। नियमावली में 2011 में संशोधन किया गया था।

बेंच ने कहा, ''हाईकोर्ट द्वारा जारी की गई सूची और जिला न्यायाधीशों को पदोन्नति देने के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश गैरकानूनी और इस अदालत के निर्णय के विपरीत है। अत: इसे बरकरार नहीं रखा जा सकता।''

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''हम पदोन्नति सूची के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हैं। पदोन्नति पाने वाले संबंधित अधिकारियों को उनके मूल पदों पर भेजा जाता है, जिन पर वह अपनी पदोन्नति से पहले नियुक्त थे।''

शीर्ष न्यायालय ने पदोन्नति पर रोक लगाते हुए एक अंतरिम आदेश पारित किया और मामले को सुनवाई के लिए उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया क्योंकि जस्टिस शाह 15 मई को रिटायर हो रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट वरिष्ठ सिविल जज कैडर के अधिकारी रविकुमार महेता और सचिन प्रतापराय मेहता की याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें 68 न्यायिक अधिकारियों के जिला न्यायाधीशों के उच्च कैडर में चयन को चुनौती दी गई है।

जिन 68 न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति को चुनौती दी गई है उनमें सूरत के सीजेएम वर्मा भी शामिल हैं जो अभी गुजरात सरकार के कानूनी विभाग में अवर सचिव तथा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सहायक निदेशक के रूप में काम कर रहे हैं।

उच्चतम न्यायालय ने दो न्यायिक अधिकारियों की याचिका पर 13 अप्रैल को गुजरात हाईकोर्ट के महापंजीयक और राज्य सरकार को नोटिस जारी किए थे। उच्चतम न्यायालय ने पारित आदेश की आलोचना करते हुए कहा था कि यह जानते हुए 68 अधिकारियों की पदोन्नति के लिए 18 अप्रैल को आदेश दिया गया कि मामला उसके समक्ष लंबित है।

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May 12 2023, 16:22

*पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को राहत, इस्‍लामाबाद हाईकोर्ट ने अलकादिर केस में दी दो हफ्ते की जमानत*

#al_qadir_trust_case_imran_khan_got_bail

पाकिस्‍तान में गृहयुद्ध जैसे हालात के बीच पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को इस्‍लामाबाद हाईकोर्ट से अलकादिर केस में दो हफ्ते के लिए जमानत मिल गई है। इमरान खान को तोशाखाना मामले में पहले ही जमानत मिली हुई है। इससे पहले इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने तोशाखाना केस पर स्टे लगाकर इमरान खान को बड़ी राहत दी।

इमरान खान पर अल-कादिर ट्रस्ट केस में भ्रष्टाचार करने का आरोप है, इसी मामले में उन्हें 9 मई को गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद काफी हंगामा मचा और फिर 11 मई को सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत मिली थी और कोर्ट ने तत्काल रिहा करने का आदेश दिया था, साथ ही जमानत के लिए इस्लामाबाद हाईकोर्ट जाने के लिए इमरान को कहा गया था। अब इस्लामाबाद हाईकोर्ट से भी इमरान को राहत मिल गई है और उन्हें दो हफ्ते के लिए बेल मिल गया हैय़

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान अग्रिम जमानत के लिए इस्लामाबाद हाई कोर्ट में पेश हुए। वह इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में एक सुरक्षा काफिले में पहुंचे, जहां सैकड़ों पुलिस और अर्धसैनिक बल तैनात थे।

 

बता दें कि इमरान खान को 9 मई को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय परिसर से पाकिस्तान रेंजर्स ने उस वक्त गिरफ्तार कर लिया था, जब वह दो मामलों में अग्रिम जमानत के लिए पहुंचे थे। एक जवाबदेही अदालत ने अगले दिन उन्हें अल-कादिर ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में 8 दिन की रिमांड पर राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो को सौंप दिया था। उनकी गिरफ्तारी ने पूरे पाकिस्तान में व्यापक विरोध प्रदर्शन देखा, जिसने शहबाज शरीफ सरकार को राष्ट्रीय राजधानी के साथ-साथ पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांतों में सेना तैनात करने के लिए प्रेरित किया। देशव्यापी हिंसक विरोध प्रदर्शन में कम से कम 8 लोगों की मौत हो गई। मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल, न्यायमूर्ति मुहम्मद अली मजहर और न्यायमूर्ति अतहर मिनल्लाह की 3 सदस्यीय शीर्ष अदालत की पीठ ने कल इमरान खान की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए उनकी तत्काल रिहाई का आदेश दिया। पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान देश भर में 120 से अधिक मामलों का सामना कर रहे हैं, जिनमें कथित रूप से देशद्रोह और ईशनिंदा, हिंसा और आतंकवाद को उकसाना शामिल है।

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May 12 2023, 16:14

दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर पर शीर्ष अदालत के फैसले के एक दिन बाद ही फिर सुप्रीम कोर्ट दौड़े अरविंद केजरीवाल, यहां पढ़िए, पूरा मामला

एलजी या दिल्ली सरकार? राजधानी में अधिकारियों पर नियंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी विवाद थम नहीं रहा। संविधान पीठ के फैसले के एक दिन बाद दिल्ली की केजरीवाल सरकार एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। केजरीवाल सरकार ने आरोप लगाया है कि केंद्र अधिकारियों (सचिव) का ट्रांसफर नहीं करने दे रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र के GNCTD अधिनियम 2021 (संसोधन) के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका पर बड़ा फैसला सुनाया था. पीठ ने अपने फैसले में कहा था, दिल्ली (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ) में विधायी शक्तियों के बाहर के क्षेत्रों को छोड़कर सेवाओं और प्रशासन से जुड़े सभी अधिकार चुनी हुई सरकार के पास होंगे। हालांकि, पुलिस, पब्लिक आर्डर और लैंड का अधिकार केंद्र के पास ही रहेगा। 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीएम केजरीवाल ने ट्रांसफर की बात कही थी। इसके बाद केजरीवाल सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने अपने विभाग के सचिव बदल दिया है। दिल्ली सरकार के सर्विसेज विभाग के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने आशीष मोरे को सर्विसेज सचिव पद से हटा दिया था। उनकी जगह पर अनिल कुमार सिंह सर्विसेज के नए सचिव बनाए गए हैं। वह 1995 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और जल बोर्ड के सीईओ भी रह चुके हैं।

पहले ट्रांसफर पर ही विवाद 

दिल्ली सरकार द्वारा किए गए पहले ही ट्रांसफर के बाद टकराव हो गया। आशीष मोरे के ट्रांसफर को एलजी दफ्तर की ओर से अवैध बताया गया। दिल्ली एलजी सचिवालय और सेवा विभाग के सूत्रों का दावा है कि सचिव सेवा का स्थानांतरण अवैध, मनमाना और निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन किए बिना है। सूत्रों का दावा है कि एक अधिकारी का तबादला कार्यकाल पूरा होने से पहले केवल सिविल सेवा बोर्ड द्वारा किया जा सकता है, जिसके प्रमुख मुख्य सचिव और अन्य दो वरिष्ठ नौकरशाह सदस्य होते हैं। लेकिन सचिव सेवा के तबादले में आज इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। यह भी दावा किया गया है कि आज के फैसले की आधिकारिक प्रति आने से पहले मंत्री के आदेश आ गए।

लंबे समय से चला आ रहा विवाद

 - केंद्र बनाम दिल्ली विवाद 2018 से सुप्रीम कोर्ट में है. कोर्ट ने 4 जुलाई 2018 को इस पर फैसला सुनाया था। लेकिन तब कोर्ट ने सर्विसेज यानी अधिकारियों पर नियंत्रण जैसे कुछ मुद्दों को आगे की सुनवाई के लिए छोड़ दिया था। 

- 14 फरवरी 2019 को इस मुद्दे पर 2 जजों की बेंच ने फैसला दिया था। लेकिन दोनों जजों, जस्टिस ए के सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण के फैसले अलग अलग थे।

- जस्टिस ए के सीकरी ने माना था कि दिल्ली सरकार को अपने यहां काम कर रहे अफसरों पर नियंत्रण मिलना चाहिए। हालांकि, उन्होंने कहा था कि जॉइंट सेक्रेट्री या उससे ऊपर के अधिकारियों पर केंद्र सरकार का नियंत्रण रहेगा। उनकी ट्रांसफर-पोस्टिंग उपराज्यपाल करेंगे। इससे नीचे के अधिकारियों को नियंत्रण करने का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा।

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May 12 2023, 16:13

द केरल स्‍टोरी' पर बैन पर सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को जारी किया नोटिस, पूछा-बंगाल सरकार फिल्म आखिर क्यों नहीं चलने देना चाहती है?

#the_kerala_story_ban_plea_supreme_court_issues_notice_to_west_bengal

सुदीप्तो सेन की फिल्म द केरल स्टोरी इन दिनों सिनेमाघरों में धूम मचा रही है। वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने इसे बैन कर रखा है। अब सुप्रीम कोर्ट ने द केरल स्टोरी के निर्माताओं की उस याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है, जिसमें राज्य में फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल बंगाल में द केरला स्टोरी पर लगे प्रतिबंध को नहीं हटाया है। इस दौरान सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने फ़िल्म निर्माता की याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी करते हुए सवाल पूछा कि अगर फिल्म दूसरे राज्यों में शांति से चल सकती है, तो पश्चिम बंगाल में क्यों नहीं चल सकती है? 

इसके अलावा सीजेआई ने सवाल किया कि पश्चिम बंगाल सरकार फिल्म आखिर क्यों नहीं चलने देना चाहती है? जबकि दूसरे राज्यों में, जहां भगौलिक परिस्थिति वैसी ही है, वहां शांति से चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा कि अगर लोग नहीं देखना चाहते तो ये उनकी मर्जी है। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार रोक क्यों लगाई है। 

कोर्ट में राज्य सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंहवी ने कहा कि राज्य सरकार के पास खुफिया रिपोर्ट है कि फिल्म की स्क्रीनिंग से कानून और व्यवस्था भंग हो सकती है।

वहीं, कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह बिना काउंटर दलील के फिल्‍म पर लगे बैन को नहीं हटा सकते। ऐसे में दोनों ही राज्‍यों को शॉर्ट नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाए। इस मामले में अब बुधवार 17 मई को फिर से सुनवाई होगी। यानी दोनों राज्‍यों के पास जवाब दाख‍िल करने के लिए मंगलवार तक का वक्‍त है।

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May 12 2023, 16:10

जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो पप्पू यादव ने फिर बागेश्वर बाबा पर बोला हमला, कहा, अपने भाई को लेकर कोई पर्चा क्यों नहीं निकलते

 पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री का कलश यात्रा के साथ धार्मिक आयोजन हनुमंत कथा आरम्भ हो गया है। कल 13 मई को धीरेंद्र शास्त्री बिहार की राजधानी पटना आ रहे हैं। उनके स्वागत की विशाल तैयारी हो चुकी है। इस बीच बागेश्वर बाबा से जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने बड़ा सवाल पूछा है। जन अधिकार पार्टी सुप्रीमो ने पूछा है कि बागेश्वर बाबा अपने भाई को लेकर कोई पर्चा क्यों नहीं निकलते? 

गुरुवार को पप्पू यादव वैशाली गए थे। तभी मीडिया ने बागेश्वर बाबा के पटना में समारोह को लेकर सवाल किया पप्पू यादव इस पर भड़क गए। उन्होंने कहा कि बाबा जब सब कुछ ठीक करते हैं तो पहले अपने भाई का पर्चा बना दें। उनमें चमत्कार है तो भाई को सुधार दें। यादव ने कहा कि ऐसे बाबाओं को कोर्ट में पेश कर जेल में बंद कर देना चाहिए।

इधर, मीडिया से चर्चा करते हुए बागेश्वर धाम सरकार से कहा कि देश में बहुत गरीबी है। चमत्कार से उन्हें बाबा दूर कर देते। पाकिस्तान एवं चाइना के समस्या को भी वह समाप्त कर देते। आरोप लगाया कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री के सगे भाई हथियार रखते हैं। उनका पर्चा पहले बना देना चाहिए। पहले घर में चमत्कार दिखाना चाहिए। इससे पहले भी पप्पू यादव धीरेंद्र शास्त्री पर हमला कर चुके हैं। बीते दिनों उन्होंने कहा था कि इन बाबाओं को चाइना बॉर्डर पर भेज देना चाहिए। बिहार में ऐसे व्यक्तियों का कोई काम नहीं है। जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो का तेवर अभी भी कायम है।

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May 12 2023, 16:08

*'द केरल स्‍टोरी' पर बैन पर सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को जारी किया नोटिस, पूछा-बंगाल सरकार फिल्म आखिर क्यों नहीं चलने देना चाहती है?*

#the_kerala_story_ban_plea_supreme_court_issues_notice_to_west_bengal

सुदीप्तो सेन की फिल्म द केरल स्टोरी इन दिनों सिनेमाघरों में धूम मचा रही है। वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने इसे बैन कर रखा है। अब सुप्रीम कोर्ट ने द केरल स्टोरी के निर्माताओं की उस याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है, जिसमें राज्य में फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल बंगाल में द केरला स्टोरी पर लगे प्रतिबंध को नहीं हटाया है। इस दौरान सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने फ़िल्म निर्माता की याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी करते हुए सवाल पूछा कि अगर फिल्म दूसरे राज्यों में शांति से चल सकती है, तो पश्चिम बंगाल में क्यों नहीं चल सकती है? 

इसके अलावा सीजेआई ने सवाल किया कि पश्चिम बंगाल सरकार फिल्म आखिर क्यों नहीं चलने देना चाहती है? जबकि दूसरे राज्यों में, जहां भगौलिक परिस्थिति वैसी ही है, वहां शांति से चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा कि अगर लोग नहीं देखना चाहते तो ये उनकी मर्जी है। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार रोक क्यों लगाई है। 

कोर्ट में राज्य सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंहवी ने कहा कि राज्य सरकार के पास खुफिया रिपोर्ट है कि फिल्म की स्क्रीनिंग से कानून और व्यवस्था भंग हो सकती है।

वहीं, कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह बिना काउंटर दलील के फिल्‍म पर लगे बैन को नहीं हटा सकते। ऐसे में दोनों ही राज्‍यों को शॉर्ट नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाए। इस मामले में अब बुधवार 17 मई को फिर से सुनवाई होगी। यानी दोनों राज्‍यों के पास जवाब दाख‍िल करने के लिए मंगलवार तक का वक्‍त है।

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May 12 2023, 15:46

अगले कुछ घंटे में खतरनाक हो जाएगा चक्रवात मोचा, मौसम विभाग का अलर्ट, उत्तर-पूर्वी राज्यों में बारिश का अनुमान

#cyclone_mocha

मध्य बंगाल की खाड़ी से सटे दक्षिण पूर्व में चक्रवाती तूफान ‘मोचा’ एक बहुत ही भीषण चक्रवाती तूफान में बदल गया है। आईएमडी ने कहा कि ‘मोचा’ पिछले छह घंटों के दौरान 9 किमी. प्रति घंटे की गति से उत्तर दिशा की ओर बढ़ रहा है।इसके बांग्लादेश-म्यांमा तट की ओर बढ़ने का अनुमान है।चक्रवात की आशंकाओं के बीच नेशनल डिजास्टर मैनेजमें अथॉरिटी ने पश्चिम बंगाल में कई टीमें तैनात की हैं. इनके अलावा त्रिपुरा, मिजोरम और उत्तर पूर्व के कुछ राज्यों में हल्की से भारी बारिश का अनुमान है।

मौसम विभाग ने कहा कि इसके उत्तरपूर्व की ओर बढ़ने और तेज होने की संभावना है। इसके 14 मई की दोपहर के आसपास कॉक्स बाजार (बांग्लादेश) और सितवे के करीब क्यौकप्यू (म्यांमार) के बीच तट को पार करने की संभावना है। ये 150-160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं के साथ एक बहुत ही गंभीर चक्रवाती तूफान है। जिसमें हवा की रफ्तार 175 किमी. प्रति घंटे तक हो सकती है।

आईएमडी का कहना है कि बंगाल की खाड़ी के ऊपर गहरा दबाव एक चक्रवाती तूफान ‘मोचा’ में बदल गया है। आज यानी गुरुवार (11 मई) की आधी रात को यह गंभीर चक्रवाती तूफान का रूप ले सकता है। इसके कारण बांग्लादेश और म्यांमार में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है।अधिकारियों ने बताया कि 'मोचा' के कारण अंडमान में भारी बारिश होने की संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, सुबह साढ़े आठ बजे चक्रवाती तूफान पोर्ट ब्लेयर के 510 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में था।

मौसम विभाग ने गुरुवार को उत्तर पूर्व के कई राज्यों में हल्की से भारी बारिश का अनुमान लगाया है। चक्रवात मोचा की वजह से अंडमान निकोबार द्वीप समूह में भी भारी बारिश का अनुमान है। चक्रवात के बंगाल की खाड़ी में सेंट्रल मूवमेंट्स की वजह से अगले पांच दिनों तक उत्तर पूर्वी राज्यों में बारिश का अनुमान है। पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, गोवा, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।

चक्रवात तूफान को ध्यान में रखते हुए पश्चिम बंगाल में एडीआरएफ की 8 टीमें तैनात की गई हैं। एनडीआरएफ की दूसरी बटालियन के कमांडेंट, गुरमिंदर सिंह ने कहा कि 12 मई को चक्रवात मोचा भयंकर तूफान और 14 मई को एक बहुत ही गंभीर चक्रवाक में बदल सकता है। 8 टीमों तैनाती हुई है। 200 से बचावकर्मी जमीन पर भेजे गए हैं और 100 बचावकर्मी स्टैंडबाय पर हैं।

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May 12 2023, 14:53

अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के फैसले के एक दिन बाद फिर शीर्ष कोर्ट पहुंची केजरीवाल सरकार, कहा- 'सचिव का ट्रांसफर नहीं कर रहा केंद्र'

#kejriwal_govt_again_reached_the_supreme_court

दिल्‍ली में अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के मामले में संविधान पीठ के फैसले के अगले ही दिन केजरीवाल सरकार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. सुप्रीम कोर्ट के सामने सर्विसेज के सचिव के ट्रांसफर का मुद्दा उठाया गया है। और कहा गया कि केंद्र, सचिव का ट्रांसफर नहीं कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार हो गया है।

सुप्रीम कोर्ट के सामने सर्विसेज विभाग के सचिव के ट्रांसफर का मुद्दा उठाया गया है। शुक्रवार को केजरीवाल सरकार ने आरोप लगाया है कि केंद्र अधिकारियों का ट्रांसफर नहीं करने दे रहा है। दिल्ली सरकार ने सीजेआई के समक्ष कहा कि केंद्र दिल्ली सरकार के सर्विसेज विभाग के सचिव का ट्रांसफर नहीं कर रहा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। सीजेआई ने दिल्ली सरकार से कहा है कि वो अगले हफ्ते बेंच का गठन करेंगे।

बता दें कि आम आदमी पार्टी की सरकार को बड़ी राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सर्वसम्मति से फैसला दिया कि लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि जैसे विषयों को छोड़कर अन्य सेवाओं पर दिल्ली सरकार के पास विधायी तथा प्रशासकीय नियंत्रण है. उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने कहा कि नौकरशाहों पर एक निर्वाचित सरकार का नियंत्रण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली का ‘विशेष प्रकार का' दर्जा है और उन्होंने न्यायाधीश अशोक भूषण के 2019 के उस फैसले से सहमति नहीं जतायी कि दिल्ली सरकार के पास सेवाओं पर कोई अधिकार नहीं है।

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May 12 2023, 13:43

सीबीएसई बोर्ड मेरिट लिस्ट नहीं करेगा जारी, यहां जानिए क्या है वजह

#cbseboardclass12thresultsmeritlistnotrelease

सीबीएसई बोर्ड कक्षा 12वीं के रिजल्‍ट जारी कर दिए गए हैं। कुल 87.33% स्‍टूडेंट्स कक्षा 12वीं की परीक्षा में पास हुए हैं।त्रिवेन्‍द्रम जोन ने 99.91 प्रतिशत के साथ सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है। 97 प्रतिशत से अधिक रिजल्‍ट के साथ जवाहर नवोदय विद्यालय ने सबसे अच्‍छा प्रदर्शन किया है।इस वर्ष पास परसेंटेज में 2022 की तुलना में -5.38% की गिरावट है। जबकि छात्राओं का प्रदर्शन परीक्षा में छात्रों से 6.01% बेहतर रहा है।

पास परसेंटेज

• लड़कियां: 90.68%

• लड़के: 84.67% 

• कुल: 87.33%

बेहतरीन प्रदर्शन

• त्रिवेंद्रम के छात्रों का प्रदर्शन पूरे देश में सबसे ऊपर: 99.91%

• दूसरे नंबर पर बेंगलुरु: 98.64%

• तीसरे नंबर पर चेन्नई: 97.40%

• जवाहर नवोदय विद्यालय के बच्चों की ओवरऑल पास परसेंटेज सबसे बेहतर रही: 97.51%.

मेरिट लिस्ट का ऐलान नहीं किया जाएगा

सीबीएसई बोर्ड ने ऐलान किया है कि इस साल भी मेरिट लिस्ट का ऐलान नहीं किया जाएगा। बोर्ड की तरफ से इसकी वजह भी बताई गई है।सीबीएसई बोर्ड ने कहा है कि ये मेरिट लिस्ट और डिवीजन वाइज मार्क्स की डिटेल्स को जारी नहीं करेगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि छात्रों के बीच गैरजरूरी प्रतिस्पर्धा को रोका जा सके। अधिकारियों ने बताया कि बोर्ड ने मेरिट लिस्ट को जारी नहीं करने का फैसला किया है। साथ ही स्टूडेंट्स को उनके नंबरों के आधार पर फर्स्ट, सेकेंड और थर्ड डिविजन देने की प्रक्रिया को भी बंद करने का फैसला किया है। पिछले साल भी मेरिट लिस्ट को जारी नहीं किया गया था।

मेरिट लिस्ट जारी नहीं करने की वजह

दरअसल, ये देखने को मिलता था कि मेरिट लिस्ट जारी होने से छात्रों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ जा रही थी। छात्रों के ऊपर पढ़ाई का दबाव भी बढ़ जा रहा था। ऐसे में जिन स्टूडेंट्स को मेरिट लिस्ट जगह नहीं मिलती थी, वे बहुत निराश हो जाते थे। यही वजह है कि अब बोर्ड की तरफ मेरिट लिस्ट को जारी नहीं किया जाता है।

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May 12 2023, 13:20

पुलिस के सामने पेश हुए बृजभूषण शरण सिंह, पहलवानों की शिकायत पर बोले - सभी आरोप झूठे और बेबुनियाद

#brijbhushansharansinghappearedbeforethedelhipolice

महिला पहलवानों से यौन शोषण के आरोपी भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह दिल्ली पुलिस के सामने पेश हुए। दिल्ली पुलिस ने बृज भूषण का बयान दर्ज किया है।उनसे कुछ दस्तावेज भी मांगे हैं। दोबारा जरूरत होने पर फिर से बयान दर्ज होंगे। बृजभूषण शरण सिंह ने पुलिस के सामने दिए बयान में अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारा है।

डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवान अभी भी जंतर-मंतर पर प्रोटेस्ट कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचने के बाद दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की थी। आज डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष का बयान दर्ज किया गया है।

एसआईटी के सामने दर्ज कराया बयान

बृजभूषण शरण सिंह ने दिल्ली पुलिस की एसआईटी के सामने अपना बयान दर्ज कराया है। दिल्ली पुलिस ने महिला पहलवान के आरोपों की जांच के लिए महिला डीसीपी की निगरानी में 10 सदस्यीय विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया। इसमें चार महिला पु्लिस अधिकारी और छह पुलिसवाले शामिल हैं। एसआईटी का सुपरविजन महिला डीसीपी करेंगी। डब्ल्यूएफआई असिस्टेंट सेक्रेटरी विनोद तोमर के बयान भी दर्ज किए गए हैं। दिल्ली पुलिस की एफआईआर में विनोद तोमर को भी आरोपी बनाया गया है। बृजभूषण शरण सिंह ने अपनी सफाई में आने वाले कुछ दिनों में ऑडियो, वीडियो और डिजिटल एविडेंस पुलिस को सौंपेंगे।

बृजभूषण पर क्या हैं आरोप ?

भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ 7 महिला पहलवानों ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। इन पहलवानों की शिकायत पर दिल्ली के कनॉट प्लेस थाने में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मुकदमा लिखा गया है। पीड़ितों में एक नाबालिग भी है, जिसके मामले में सिंह के खिलाफ यौन अपराधों से बाल संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) के तहत केस दर्ज हुआ है। बृजभूषण शरण के खिलाफ पुलिस एफआईआर दर्ज करवाने के लिए पहलवानों को सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा था।